રુદ્રાષ્ટકમ - સંત તુલસીદાસ
આજે મહાશિવરાત્રી છે. માણીયે આ શિવસ્ત્રોત્ર.
સંત તુલસીદાસ
नमामीश मीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवॆद स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चदाकाश माकाशवासं भजॆहम् ॥
निराकार मॊङ्कार मूलं तुरीयं गिरिज्ञान गॊतीत मीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं गुणागार संसारसारं नतॊ हम् ॥
तुषाराद्रि सङ्काश गौरं गम्भीरं मनॊभूतकॊटि प्रभा श्रीशरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लॊलिनी चारुगाङ्गं लस्त्फालबालॆन्दु भूषं महॆशम् ॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनॆत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परॆशम् अखण्डम् अजं भानुकॊटि प्रकाशम् ।
त्रयी शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजॆहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तरी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दॊह मॊहापकारी प्रसीद प्रसीद प्रभॊ मन्मधारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लॊकॆ परॆ वा नाराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभॊ सर्वभूताधिवास ॥
नजानामि यॊगं जपं नैव पूजां नतॊ हं सदा सर्वदा दॆव तुभ्यम् ।
जराजन्म दुःखौघतातप्यमानं प्रभॊपाहि अपन्नमीश प्रसीद! ॥
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